A Simple Key For sidh kunjika Unveiled
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नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥ ६ ॥
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
Salutations to your Goddess who has the shape of root chants Who by the chant “Intention” has the form of your creator Who with the chant “Hreem” has the form of one who takes treatment of every thing And who with the chant click here “Kleem” has the shape of passion
इश्क के जाल में फंसाकर चल रहा ठगी का खेल, जानें क्या है इससे बचने का तरीका?
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
बॉलीवुडओटीटीटेलीविजनतमिल सिनेमाभोजपुरी सिनेमामूवी रिव्यूरीजनल सिनेमा
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
This is prayer of your Kunjika and that is The rationale for awakening. Oh Parvathi, preserve this protected and saved mystery from those who are not devotees.
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ॥ ७ ॥